Bihar Politics: हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) और एनडीए के बीच मतभेद अब खुलकर सामने आने लगे हैं। पार्टी के राष्ट्रीय संरक्षक और केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी ने साफ कहा है कि अगर उनकी सीटों की मांग नहीं मानी गई, तो उनकी पार्टी चुनाव से दूरी बना सकती है।
राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि मांझी ने सभी विकल्प खुले रखे हैं और जल्द ही उनकी प्रशांत किशोर (PK) से मुलाकात भी हो सकती है। वहीं सूत्रों के मुताबिक, इस बीच उनकी भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा से भी बातचीत हुई है।
सीट शेयरिंग को लेकर बढ़ी नाराजगी
मांझी ने एनडीए से कम से कम 15 सीटों की मांग रखी है। उनका कहना है कि पिछली बार पार्टी ने 7 सीटों पर चुनाव लड़ा था और उनमें से 4 पर जीत हासिल की थी। इस बार वे चाहते हैं कि पार्टी को इतनी सीटें दी जाएं कि राष्ट्रीय मान्यता हासिल की जा सके।

उन्होंने कहा कि अगर सम्मानजनक सीटें नहीं मिलतीं, तो फिर चुनाव लड़ने का कोई अर्थ नहीं है। हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि “हम एनडीए में थे और रहेंगे”, लेकिन अब सम्मान और अस्तित्व दोनों ही उनके लिए अहम मुद्दे बन गए हैं।
10 अक्टूबर को अहम बैठक, तय होगा अगला कदम
एनडीए में सीट बंटवारे की खींचतान के बीच मांझी ने 10 अक्टूबर को पटना में पार्टी की संसदीय बोर्ड बैठक बुलाई है। इस बैठक में पार्टी अपने अगले राजनीतिक कदम का ऐलान कर सकती है।
मांझी का कहना है कि यह चुनाव उनके लिए किसी पद या गठबंधन की राजनीति से कहीं अधिक अहम है — यह पार्टी की पहचान और भविष्य तय करेगा।
दिल्ली : सीट बंटवारे में 15 सीटों पर अड़े मांझी बोले – "मैं अपमानित महसूस कर रहा हूं. बीजेपी को धमकी कहा, 15 से कम मिली सीटें तो नहीं लड़ेंगे चुनाव. @JPNadda @BJP4Delhi @dpradhanbjp #NDA #Politics #Election2025 #BiharPolitics @jitanrmanjhi #BiharNews #jitanrammanjhi pic.twitter.com/00LoXnwdfn
— Prabhat Khabar (@prabhatkhabar) October 8, 2025
“कब तक पीते रहें अपमान का घूंट”
चुनाव आयोग की बैठक में पार्टी को नहीं बुलाए जाने पर मांझी ने नाराजगी जताई। उन्होंने कहा, “मान्यता नहीं रहने के कारण हमें बुलाया नहीं गया, जो हमारे लिए अपमानजनक है। हम चाहते हैं कि हमें इतनी सीटें मिलें जिससे पार्टी को फिर से पहचान मिल सके।”
उन्होंने दो टूक कहा कि अगर एनडीए ने उनकी बात नहीं मानी, तो “हम चुनाव से अलग रहेंगे।”
“हम पद नहीं, पहचान चाहते हैं”
मांझी ने स्पष्ट कहा कि उनकी पार्टी को किसी पद या सत्ता की लालसा नहीं है — न प्रधानमंत्री पद की, न डिप्टी सीएम की। उनका मकसद केवल हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा को राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करना है।
उन्होंने कहा, “हमने हमेशा एनडीए के प्रति वफादारी दिखाई है — चाहे नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़ना हो या उपराष्ट्रपति चुनाव में समर्थन देना, हमने हर बार गठबंधन के साथ खड़े होकर जिम्मेदारी निभाई है।”
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले एनडीए में अंदरूनी खींचतान बढ़ती दिख रही है। जीतनराम मांझी का यह रुख भाजपा के लिए नई चुनौती साबित हो सकता है। अब सबकी नजरें 10 अक्टूबर की बैठक पर टिकी हैं, जहां से HAM का अगला राजनीतिक रास्ता तय होगा।