बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले एनडीए गठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर खींचतान थमने का नाम नहीं ले रही है। एनडीए नेताओं का दावा है कि सबकुछ सामान्य है, लेकिन अंदरूनी हालात कुछ और ही कहानी बयां कर रहे हैं।
लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान इन दिनों अपनी सीटों की मांग को लेकर सुर्खियों में हैं।
चिराग पासवान की दो सीटों पर ज़िद
सूत्रों के मुताबिक़, चिराग पासवान बिहार की चकाई और सिकंदरा विधानसभा सीटों की मांग पर अडिग हैं। उनका मानना है कि इन दोनों सीटों पर एलजेपी (रामविलास) का पुराना जनाधार है।
चिराग का तर्क है कि फरवरी 2005 के चुनाव में एलजेपी ने इन सीटों पर जीत हासिल की थी। साथ ही यह क्षेत्र उनके परिवार से भी गहराई से जुड़ा हुआ है, क्योंकि जमुई लोकसभा सीट से पहले खुद चिराग सांसद रह चुके हैं और इस समय उनके जीजा अरुण भारती इस सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।

चकाई और सिकंदरा पर टकराव क्यों?
चकाई विधानसभा सीट पर 2020 में निर्दलीय उम्मीदवार सुमित कुमार सिंह ने जीत दर्ज की थी, जो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी माने जाते हैं और वर्तमान में बिहार सरकार में मंत्री भी हैं।
वहीं, सिकंदरा सीट जीतन राम मांझी की पार्टी हम (H.A.M) के विधायक प्रफुल्ल मांझी के पास है।
अगर एनडीए इन दोनों सीटों को चिराग की पार्टी को सौंप देता है, तो नीतीश कुमार और जीतन राम मांझी दोनों की नाराज़गी झेलनी पड़ सकती है।
2020 में जमानत ज़ब्त, फिर भी डटे हैं चिराग
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, 2020 के विधानसभा चुनाव में एलजेपी (रामविलास) के उम्मीदवारों को इन दोनों सीटों पर खास सफलता नहीं मिली थी — यहां तक कि उनकी जमानत भी ज़ब्त हो गई थी।
इसके बावजूद चिराग इन सीटों पर अपनी पकड़ मजबूत दिखाना चाहते हैं और उन्हें गठबंधन के तहत वापस लेने की कोशिश कर रहे हैं।
लो मार्जिन सीटों पर भी खींचतान
सूत्रों के अनुसार, लो-मार्जिन सीटों पर भी बीजेपी और एलजेपी के बीच असहमति बनी हुई है। करीब 10 सीटों पर दोनों दलों के बीच पेच फंसा है — इनमें बखरी, शाहपुर कमाल, बेगूसराय और खगड़िया क्षेत्र की सीटें प्रमुख हैं।
इन सीटों पर पिछली बार बेहद कम अंतर से जीत हुई थी, इसलिए चिराग पासवान अब उन पर भी दावा ठोक रहे हैं।
धर्मेंद्र प्रधान संभालेंगे सुलह की कमान
इस पूरे विवाद को सुलझाने की जिम्मेदारी अब बीजेपी चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान के कंधों पर आ गई है।
सूत्रों का कहना है कि वे शुक्रवार को पटना पहुंचेंगे और राज्य इकाई के नेताओं के साथ बैठक कर सकते हैं। उम्मीद है कि वे चिराग पासवान और जीतन राम मांझी के बीच कोई मध्य रास्ता निकालने की कोशिश करेंगे।
नित्यानंद राय की कोशिशें अब तक नाकाम
केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय गुरुवार को दो बार चिराग पासवान के घर पहुंचे थे, लेकिन बातचीत से कोई ठोस नतीजा नहीं निकला।
संभावना जताई जा रही है कि शुक्रवार को दोनों नेताओं की फिर से मुलाकात हो सकती है, ताकि सीट शेयरिंग का मामला जल्द सुलझाया जा सके।
बिहार चुनाव से पहले एनडीए के भीतर यह सीट शेयरिंग विवाद चुनावी रणनीति को प्रभावित कर सकता है।
अब सबकी नजरें धर्मेंद्र प्रधान की बैठक पर टिकी हैं — क्या वे इस सियासी गणित को सुलझा पाएंगे या फिर बिहार एनडीए में असहमति की नई लहर उठेगी?